आई.ए.एस.एस.टी का बेसिक और एप्लाइड प्लाज़मा कार्यक्रम मूलतः दो व्यापक क्षेत्रों पर केंद्रित है: 1) बेसिक या बुनियादी प्लाज्मा विज्ञान जिसमें मुख्य रूप से कम तापमान प्रयोगशाला प्लाज्मा में मूलभूत प्रक्रियाओं का अध्ययन शामिल है और 2) एप्लाइड प्लाज़मा विज्ञान।
बीएपीपी प्रभाग के बुनियादी अनुसंधान के खास क्षेत्र वेव तथा मल्टीकम्पोनेंट प्लाज़्मा की अस्थिरता और डस्टी प्लाज़्मा है। मल्टीकम्पोनेंट प्लाज़्मा के तहत हाल ही में खोजें गए पेरेग्रीन सोलिटोन, समुद्र में उत्पन्न रॉग वेब के प्रोटोटाइप को उसके अन्य अर्ध स्थानीय रूपों की जांच के लिए जारी रखा गया। डस्टी प्लाज़्मा में नॉनलाइनर वेब फेनोमेना का संबद्ध कम आवृति वाले डस्ट एकॉस्टिक वेब के साथ तथा नॉनलाइनर ढांचे का संबद्ध डस्टी प्लाज़्मा प्रवाह के गहन जांच के विषय के साथ रहा है। आयनोस्फेरिक प्लाज़्मा स्थिति के साथ बहुत कम घनत्व वाले प्लाज़्मा को अंतरिक्ष यान या उपग्रह संपर्क का अध्ययन करने के लिए नकारात्मक आयनों के साथ प्रयोगात्मक रूप से साधित किया गया है।
एप्लाइड प्लाज़्मा अनुभाग में प्लाज़्मा प्रक्रिया का उपयोग करते हुए नैनोस्ट्रक्टेड कटैलिस्ट को शामिल करने के साथ फ्यूल सेल इलेक्ट्रोड असेंबली का विकास जारी रखा गया। धातु सतहों पर चयनात्मक गुणों के साथ मिश्रित बहुलक फिल्म जमा करने के लिए वायुमंडलीय दबाव प्लाज़्मा प्रणाली विकसित की गई। हमने तरल प्लाज़्मा डिस्चार्ज रिएक्टर विकसित किया और उसका प्रयोग पानी में नैनोमैटरियल संश्लेषण के लिए बिना किसी अति विषाक्त अपचायक एजेंट के उपयोग के किया। तरल प्लाज़्मा रिएक्टर में संरचनात्मक गुण और ट्यूनेबल ऑप्टिकल के साथ नैनोमैटरियल के संश्लेषण के संभाव्य अनुप्रयोग की क्षमता है। डीएसआईआर, भारत सरकार के वित्तीय सहयोग से देश के काँसा/बेल मेटल उद्योग के लिए आई.ए.एस.एस.टी पेटेंट प्लाज़्मा कोटिंग प्रक्रिया द्वारा विकसित व्यवसायिक मॉडल विकसित करने के लिए सर्वेक्षण आरम्भ किया गया है।