जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र अनुसंधान (बीडीईआर) कार्यक्रम रेशमकीट मोठ की विविधता से जुड़े सेरीकल्चर / सेरिबायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अनुसंधान के अवसरों की एक विस्तृत श्रृंखला है, जिसके तहत सूक्ष्मजीव के स्वास्थ्य पर पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरण में मानवजनित गतिविधि का प्रभाव तथा इसके भीतर उच्च जीव और अशांत/ प्रदूषित पारिस्थितिकी तंत्र की पूर्वावस्था शामिल है। कार्यक्रम के तहत मिट्टी, पानी और हवा सहित पारिस्थितिकी तंत्र के घटकों का स्वास्थ्य तथा जैविक एवं रासायनिक विधियों का उपयोग कर अशांत/ प्रदूषित पारिस्थितिकी तंत्रों (जैसे हाइड्रोकार्बन प्रदूषित खेत और आर्द्रभूमि) के पुनर्वितरण का मूल्यांकन किया जा रहा है। बीडीईआर के एक क्षेत्र का केंद्र मानव माइक्रोबायोम की प्रकृति और मानव शरीर के स्वास्थ्य के साथ इसके संबंधों को समझने तथा इस ज्ञान को माइक्रोबायोम चिकित्साविधान हेतु किस प्रकार अनुवाद किया जा सके पर आधारित है। बीडीईआर के अंतर्गत प्रिस्टाइन और चाय पारिस्थितिकी तंत्र की माइक्रोबियल जैव विविधता का अध्ययन, वाणिज्यिक फसल, चाय (कैमेलिया साइनेंसिस) की जैविक खेती में जैव निम्नीकरण हेतु माइक्रोबियल एजेंटों का निष्कर्य और एमआरएसए, एमडीआर स्ट्रैंस, संक्रामक रोगों और डर्माटोफाइट्स के विरुद्ध बाह्य रोगाणुरोधी चयापचयो का अन्वेषण शामिल है।
- होम
- बारे में
- अनुसंधान
- अकादमिक
- प्रशासन
- सुविधाएं
- आउटरीच
- सूचना
- सर्च